Tuesday, March 28, 2023
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Bewafa Shayari | Hindi Bewafai SMS | Best Bewafa Status 2023

Bewafa Shayari | Hindi Bewafai SMS | Best Bewafa Status 2023

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 तेरे होने पर भी खुद को तनहा समझूँ में बेवफा हु के तुजे बेवफा समझूँ तेरी बेरुखी से वक़्त तो गुज़र गया हें मेरा यह खुद्दारी हें तेरी या तेरी अदा समझूँ तेरे बाद क्या हाल हुआ हें मेरा ये तेरी इनायत हें या समझूँ ज़ख़्म देती हो और मरहम भी लगाती हो यह तेरी आदत हें या तेरी अदा समझूँ

 

 आज आचनक तेरी याद ने हमको रुला दिया, क्या करे जो तुम ने मुजको भुला दिया, ना करते आपसे वफ़ा और ना मिलते ये सज़ा, मेरी हे वफ़ा ने तुज़े बेवफा बना दिया. बेवफ़ा कहने से क्या वो बेवफ़ा हो जाएगा तेरे होते इस सिफ़त का दूसरा हो जाएगा 

 

   
 आकाश मे डूबा एक प्यारा तारा हे, हमको तो किसी की बेवफ़ाई ने मारा हे, हम उनसे अब भी मोहब्बत करते हे, जिसने हमे मौत से भी पहेले मारा हे.

 

 मोहब्बत करे तो लगता हे जैसे, मौत से भी बड़ी ये एक सज़ा हे जैसे, किस किस से शिकायत करे हम, जब अपनी हे तक़दीर हे बेवफा हो. 

 


 जब से एक बेवफा का हमारे दिल मे बसेरा हो गया, दिल तो दिल था पर मेरा साया भी हमसे दूर हो गया. भरोसा था प्यार से रोशन होगी ज़िंदगी मेरी, उस बेवफा ने ऐसा धोखा दिया के ज़िंदगीभर अंधेरा हो गया.

 

 तेरे होने पर भी खुद को तनहा समझूँ में बेवफा हु के तुजे बेवफा समझूँ. तेरी बेरुखी से वक़्त तो गुज़र गया हें मेरा यह खुद्दारी हें तेरी या तेरी अदा समझूँ. तेरे बाद क्या हाल हुआ हें मेरा ये तेरी इनायत हें या समझूँ.

 

ज़ख़्म देती हो और मरहम भी लगाती हो यह तेरी आदत हें या तेरी अदा समझूँ        तेरे होने पर भी खुद को तनहा समझूँ में बेवफा हु के तुजे बेवफा समझूँ.    तेरी बेरुखी से वक़्त तो गुज़र गया हें मेरा यह खुद्दारी हें तेरी या तेरी अदा समझूँ.    तेरे बाद क्या हाल हुआ हें मेरा ये तेरी इनायत हें या समझूँ.    ज़ख़्म देती हो और मरहम भी लगाती हो यह तेरी आदत हें या तेरी अदा समझूँ       

 

 आपके प्यार ने दिया सुकून इतना, के आपके सिवा ना कोई प्यारा लगे, बेवफ़ाई करनी हे तो इस तरह से करना, के आपके बाद कोई बेवफा ना लगे. 

 

 मोहब्बत करे तो लगता हे जैसे, मौत से भी बड़ी ये एक सज़ा हे जैसे, किस किस से शिकायत करे हम, जब अपनी हे तक़दीर बेवफा हो. 

 


 वफ़ा का नाम ना लिया करो, वफ़ा दिल को दुखती हे, हमसे वफ़ा का नाम लेते हे, एक बेवफा की याद आती हे. 

 


 मोहब्बत करने वालो मे भी अक्सर ये सिला देखा हे, जिन्हे अपनी वफ़ा पे नाज़ था, उन्हे भी बेवफा देखा हे. 

 

 सोचती हू इन सागर की लहरो को देखकर, क्यो वो किनारे से टकरा कर लौट जाती है, करती है ये किनारे से बेवफ़ाई, या सागर से वफ़ा निभाती है. 

 

 आरजू थी की तेरी बाँहो मे, दम निकले, लेकिन बेवफा तुम नही,बदनसीब हम निकले. 

 

 इश्क के इस दाग का एक बेवफा से रिश्ता है इस दुनिया में सदियों से आशिक का ये किस्सा है दर्दे-दिल की आग को कोई सागर क्या बुझाएगा दिलजला तो मौत के पहलू में जाकर ही बुझता है . 

 

 पत्थर की पूजा कर बैठे हम अनजान थे, तुम्हारी हर आदत और बेवफ़ाई से नादान थे, तुम्ही ने बना दिया है हमे बेजान मूर्ति, वरना हम भी पहले किसी महफ़िल की जान थे.. 

 

 अगर मोहब्बत की तिजारत का इतना शोक़् है, ये बात भी जान लो वैसे , यहाँ वफ़ा का कोई मोल नही होता, और बेवफा बोहत अनमोल होता है.. 

 


 अगर मोहब्बत की तिजारत का इतना शोक़् है, ये बात भी जान लो वैसे , यहाँ वफ़ा का कोई मोल नही होता, और बेवफा बोहत अनमोल होता है.. 

 


 दिल किसी से तब ही लगाना जब दिलों को पढ़ना सिख लो…. वरना हसीन चेहरे तो एक ढूंढो लाखों मिलेंगे पर हर एक मे वफ़ादारी की फ़ितरत नही होती…. 

 


 सितारो को रोशनी की क्या ज़रूरत, ये तो खुद को जला लेते हे, आशिक़ो को वफ़ा की क्या ज़रूरत, वो तो बेवफा को भी प्यार कर लेते हे   

 

 अब तो गम सहने की आदत सी हो गयी है रात को छुप – छुप रोने की आदत सी हो गयी है तू बेवफा है खेल मेरे दिल से जी भर के हूमें तो अब चोट खाने की आदत सी हो गयी है .       

 

 हम तो जल गये उस की मोहब्बत में मोम की तरह… अगर फिर भी वो हमें बेवफा कहे तो उसकी वफ़ा को सलाम… 

 


 तुमसे क्या शिकवा दोस्त बेवफ़ाई का. जब मुझसे मेरा नसीब ही रूठ गया. सच तो ये है दोस्त मे तो वो खिलोना हू. जो बदनसीब खेल ही खेल मे टूट गया….. 

 


 मिले हज़ारों हमें, एक नया इल्ज़ाम सही गमो के समुंदर में गम का इनाम सही किसीने पागल कहा, किसी ने कहा दीवाना बेवफा जो नाम दिया, अब तो यही नाम सही ..

 


 ये कभी ना सोचा था तुमसे हमारी जूदा होगी तुमसे दिल लगाने की सज़ा तुम मुझे ऐसे दोगी हम तो आपकी वफ़ा पे ज़िंदा थे ये ना सोचा था कभी तुम सब से बड़ी बेवफा होगी 

 


 चुभ गयीं सीने में टूटी खावहिशों की किर्छियाँ क्या लिखूं दिल टूटने का हादसा कसे हुआ जो रंग-ए-जान थी कभी मिलती है अब रुख़ फेर कर सोचता हूँ इस क़दर वो बेवफा कैसे हुई   .

 

 उस बेवफा ने मुझे प्यार करके भी छोड़ दिया, मुझे अकेला कर तन्हाइयों से नाता मेरा जोड़ दिया, जब आई मौत अपनी तो उससे रहा ना गया, आया वो लाश पर मेरी ओर मुझे बिना जलाए ही छोड़ दिया 

 

 जिसके ख़ुशी के खातिर हमने अपनोसे रिश्ता तोड़ दिया वो बेवफा अपने नए रिश्तो के खातिर हमसे ही मुँह मोड़ लिया . 
 वो बेवफा हमारा इम्तेहा क्या लेगी मिलेगी नज़रो से नज़रे तो अपनी नज़रे ज़ुका लेगी उसे मेरी कबर पर दीया मत जलाने देना वो नादान है यारो अपना हाथ जला लेगी. गम के संजोके अच्छे लगते है, मुझे उमर भर के रोग अच्छे लगते हैं ना कर मुझ से वफ़ा की बाते मुझे बेवफा लोग अच्छे लगते हैं .

 

 क्या विश्वास नही तुम्हे हमारे विश्वास पे आज तुम फिर से ज़रा मेरी बातों पे एतबार तो करो l यूँ ना कहो मुझे बेवफा, मैं बेवफा नही हूँ तुम मेरी वफ़ा को ज़रा समझने की कोशिश तो करो l 

 

 किस किस बेवफा से रु-बारू करायें आपको जब हमारी पहली मोहब्बत ही बेवफा निकली   

 

 वो सोचती है की क्या हुवा वो रिश्ता, क्यूँ टूट गया, मानती है हूमें बेवफा और याद मे हमारी रोती है, कभि इजहार किया नही मोहब्बत का उसने हमसे, मगर सीने से लगाके हमारी तस्वीर वो हर रात सोती है .  कैसे समाजौ मैं अपने इस नादान दिल को जो उससे भूल कर भी भूलना नही चाहता तड़प्ता रहता है उस बेवफा की याद में जो उससे खो कर भी दूर होना नही चाहता 

 

 साए को भी गवारा नही साथ अपने जिस्म का, बोझ आज साए से उतार जाने दो. हम याद रखेंगे वफ़ा का हर सबक, उनको बेवफ़ाई कर के भूल जाने दो.  मुझे डर है लोग बेवफा ना कह दें तुझे, मेरी मोहब्बत की दास्तान सबको सुनाती क्यूँ हो, लोग समझ ना लें मेरा कातिल तुझको, मेरा हाले दिल सबको सुनती क्यूँ हो.. 

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